शहनाई के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Shehnai maestro Bismillah Khan)

Shravan

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Maestro Bismillah Khan) साहब का आज पुण्यतिथि है, जो भारत रत्न से सम्मानित भारतीय संगीतकार थे। उन्होंने 21 मार्च 1916 को बिहार प्रदेश के डुमरांव के ठठेरी बाजार में जन्म लिया था और आठ वर्ष की उम्र में वाराणसी आ गए थे, जहां उन्होंने अपने संगीत के कौशल को विकसित किया। उन्हें वर्ष 2001 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया, और वे तीसरे भारतीय संगीतकार थे जिन्हें इस उच्च सम्मान से नवाजा गया था। उनकी शहनाई की मंगल ध्वनि, जो आकाशवाणी और दूरदर्शन पर रोज़ सुबह बजती थी, देश के लिए एक महत्वपूर्ण पहचान बन चुकी थी। उन्होंने अपनी शहनाई से सुबह और शाम के अलग-अलग सात रागों को तीन तीन मिनट के लिए मंगल ध्वनि से सजाया था, जो देशभर में सुखद प्रतीत होता था। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Maestro Bismillah Khan) की शहनाई ने स्वतंत्रता संग्राम के समय और गणराज्य के जन्म के मौके पर भी देश को आत्मा से छू लिया था। उन्होंने देश के उत्थान के लिए अपनी धुनों का उपयोग किया और राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर गणराज्य के नवाजाने ताल में भी भाग लिया।

उनकी शहनाई का जादू न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में चमक उठा, चाहे वो न्यूयार्क का वर्ल्ड म्यूजिक इंस्टिट्यूट हो या कांस फेस्टिवल। उन्होंने संगीत क्षेत्र के कई प्रमुख पुरस्कार जीते, जैसे कि संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्मश्री, पद्वभूषण, पद्व विभूषण, तालार मौसिकी, और इरान गणतंत्र। उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया, जिससे उनका योगदान संगीत के क्षेत्र में अद्वितीय और महत्वपूर्ण है।

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बिस्मिल्लाह खां नमाज की प्रार्थना में अल्लाह से क्या मांगते थे? (What did Bismillah Khan ask Allah in prayer?)

उनकी संगीत कला में निखार लाने के लिए, वे हमेशा खुदा से सच्चे सुर की नेमत मांगते थे। उनकी संगीत में उनकी भक्ति और समर्पण की भावना निहित थी, जिसे उन्होंने अपने आवाज़ में बहुत ही सुंदर रूप में प्रकट किया। उन्होंने संगीत के माध्यम से अपने आत्मा को खुदा के सामने समर्पित किया और सच्चे सुर की प्राप्ति के लिए उनकी इबादत में झुकाव दिखाया।

बिस्मिल्लाह खान कितने वक्त नमाज पढ़ते थे? (For how long did Bismillah Khan offer Namaz?)

वे मंदिरों में शहनाई की मधुर धुनों को बजाते थे, जिससे उनकी संगीत कला का प्रकट होना देखने वालों के दिलों में खास प्रभाव छोड़ता था। वे सरस्वती माता के उपासक थे, जिनका मानना था कि संगीत एक दिव्य कला है और उसका अभिवादन करते थे। उन्हें गंगा नदी से भी गहरा संबंध था, जिससे उनकी आत्मा की शुद्धि और शांति का अहसास होता था।

बिस्मिल्लाह खान को भारत रत्न कब दिया गया?

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Maestro Bismillah Khan) को वर्ष 2001 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जिससे वे तीसरे भारतीय संगीतकार बने जिन्हें इस उच्च सम्मान से नवाजा गया। उनका बचपन से ही वाराणसी में निवास रहा, और वह शहनाई के बादशाह के रूप में माने जाते थे। उन्हें मोक्षदायिनी गंगा नदी से भी बेहद गहरा लगाव था, जिसने उनके संगीत में एक अलग मानसिकता और आध्यात्मिकता की भावना को बढ़ावा दिया।

बिस्मिल्लाह कैसे पढ़ी जाती है? ( How is Bismillah recited?)

क़ुरान की पठन के समय, हर सूरा की शुरुआत में यह आयत पढ़ी जाती है। यह आयत सिर्फ सूरह अत-तौबा में ही नहीं है, बल्कि अन्य सूरहों की शुरुआत में भी यह पढ़ा जाता है। साथ ही, हर काम की शुरुआत करते समय भी इस आयत को पढ़ा जाता है।

बिस्मिल्लाह खान की पत्नी कौन है?

मुग्गन ख़ानम 

बिस्मिल्लाह खान को लोग प्यार से क्या कहते हैं?

जी हाँ, बिस्मिल्लाह खान को प्यार से ‘खानसाब’ कहा जाता है। यह एक सम्मानभाषी उपनाम है जिसे उनके संगीतीय महार्षि और उनके विशेषता के प्रतीक के रूप में उपयोग किया जाता है।


बिस्मिल्लाह खान किस लिए प्रसिद्ध है?

आपने सही जानकारी दी है। बिस्मिल्लाह खान, जिन्हें उस्ताद के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख भारतीय संगीतकार थे और उन्हें शहनाई, एक रीड वुडविंड वाद्ययंत्र, के प्रति उनकी महत्वपूर्ण योगदान की वजह से जाना जाता है। उन्होंने अपनी कला के माध्यम से भारतीय संगीत को नए आयाम दिलाए और अपने संगीतीय जीवन में अनेक महत्वपूर्ण पुरस्कार हासिल किए।

बिस्मिल्लाह खान को कितने पुरस्कार मिले?

वर्षों में, संगीत के दिग्गज को प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया। खान भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्म श्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले कुछ संगीतकारों में से एक बने हुए हैं

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