
मोर गांव के एन एच 31निकट माँ भगवती का विशाल मंदिर है, जो मां भगवती के प्रति अटूट भक्ति का प्रमाण है। इसे मौर्यकालीन मंदिर के नाम से ऐतिहासिक कालखंडों को समेटे अनादि काल से नीम के एक विशाल पेड़ के नीचे मां भगवती विराजित है। मोर भगवती स्थान(Mor Bhagwati Place) जिक्र प्राचीन इतिहास की पुस्तकों से इस गांव के मौर्यकालीन होने की जानकारी मिली है और मंदिर में संग्रहित मूर्तियों के अवलोकन से भी उन मूर्तियों के मौर्यकालीन होने के प्रमाण मिलते हैं। गांव जब से बसा तब से लोग मां भगवती को पूजते आए हैं वहाँ के पुजारी शशिभूषण तिवारी और मोर पुर्वी के निवासी अमित कुमार सिंह ने बताया कि अनादि काल से इस मंदिर में पूजा और बलि की प्रथा चली आ रही माता सभी की मनोकामना पुरी करती है |

माता का श्रृंगार खास महत्पूर्ण(Maata ka shrrngaar is especially important)
मोर भगवती स्थान(Mor Bhagwati Place) मंदिर नवरात्रा में 10 दिनों तक श्रृंगार माता का होता है सर्धालु की भीड़ बहुत उमड़ती है नवीं के दिन में बकरे और भैंसे बलि देखने बहुत दूर से लोग आते ये लेख बलि का निश्चित समय का खण्डन नहीं करता अगर आप मोर भगवती स्थान जा रहे तो सही समय का पता कर ले | मोर भगवती स्थान(Mor Bhagwati Place) सिर्फ एक मंदिर नहीं है; यह क्षेत्र की स्थायी आस्था और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रमाण है। इसका इतिहास, परंपराएं और नवरात्रि का वार्षिक उत्सव विविध पृष्ठभूमि के लोगों को समय से परे एक तरह से दिव्य उत्सव मनाने के लिए एक साथ लाता है। इसलिए, यदि आप एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव चाहते हैं जो अतीत को वर्तमान से जोड़ता है,आप जरूर जाये |
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