
हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पुत्र व्रत जितिया व्रत मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जितिया व्रत करने से संतान की लंबी आयु होती है और उन पर आने वाले किसी भी संकट का निवारण होता है। जितिया व्रत को कई जगहों पर पुत्र व्रत जितिया और जिउतिया भी कहा जाता है। जितिया के दिन माताएं विभिन्न अनुष्ठान और पूजा करती हैं। वे जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं और भगवान शिव या देवी पार्वती को समर्पित एक मंदिर में जाते हैं, जहां वे प्रार्थना करते हैं और अपने बच्चों की भलाई के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
पुत्र व्रत जितिया कथा (son fast jitiya story)
गंधर्वराज जीमूतवाहन एक अत्यंत धार्मिक और आत्मत्यागी व्यक्ति थे। अपनी युवावस्था में, उन्होंने अपना राज्य त्याग दिया और अपने पिता की सेवा के लिए जंगल में चले गये। अपनी एक यात्रा के दौरान उनका सामना नागमाता से हुआ। उसके दुःख के बारे में उत्सुक होकर, जीमूतवाहन ने पूछताछ की, और उसने नाग राजवंश के सामने आने वाली एक परेशान करने वाली दुर्दशा का खुलासा किया। वे गरुड़ से त्रस्त थे, जो सामूहिक रूप से उनका शिकार न करने के समझौते के रूप में प्रतिदिन एक साँप की माँग करता था।
उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन पर, नागमाता के बेटे को गरुड़ के लिए चुना गया बलिदान था। उसकी दुर्दशा से प्रभावित होकर, जीमूतवाहन ने उसके बेटे की रक्षा करने की कसम खाई और खुद को नाग के स्थान पर अर्पित करने का फैसला किया। उसने अपने आप को एक कपड़े में लपेट लिया और गरुड़ के सामने उसी चट्टान पर लेट गया जहाँ से गरुड़ अपना दैनिक भोजन एकत्र करता था।
गरुड़ ने जीमूतवाहन को अपने पंजे में पकड़कर पर्वत की ओर उड़ान भरी। उन्हें आश्चर्य हुआ, जब उन्होंने जीमूतवाहन को देखा, तो उन्होंने पाया कि वह आदमी सामान्य रोने और विरोध के बजाय शांत था। जीमूतवाहन ने गरुड़ को पूरी कहानी सुनाई, जिसने उसकी निस्वार्थता से प्रभावित होकर उसे रिहा कर दिया और सांपों को दोबारा नुकसान न पहुंचाने का वादा किया।
पुत्र व्रत जितिया पूजन विधि (son fast jitiya worship method)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पुत्र व्रत जितिया आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी से नवमी तिथि तक मनाया जायेगा है।
इस वर्ष अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर 2023 को सुबह 06:34 बजे शुरू होगी और 7 अक्टूबर 2023 को सुबह 08:08 बजे समाप्त होगी। |
6 अक्टूबर शुक्रवार को माताएं जिउतिया व्रत रखेंगी। |
इस दिन, कुश घास से जीमूतवाहन की मूर्ति बनाई जाती है |
भगवान शिव और देवी पार्वती के साथ उनकी पूजा की जाती है। |
5 अक्टूबर को व्रती महिलाएं स्नान कर अपने दिन की शुरुआत करेंगी |
मड़ुआ रोटी |
नोनी का साग |
कांदा, झिघनी और करमी का भोजन करेंगी| |