दुर्गा पूजा का पर्व

दुर्गा पूजा का पर्व  बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। नौ दिन तक माँ दुर्गा की पूजा की जाती है , उनके अलग अलग रूप है भक्त माता से समृद्धि, खुशी और बुराई से रक्षा का आशीर्वाद मांगते हैं। उनके नौ रूप  जिनमें से प्रत्येक उनकी शक्ति और अनुग्रह की आवाहन भक्त उनसे करते है। ये हैं नौ रूप उनके  अलग अलग नाम  शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। जब से दुर्गापूजा शुरू होता है, उसे शारदीय नवरात्रि आध्यात्मिक चिंतन, उपवास और प्रार्थना का समय कहा जाता है। हिन्दू धर्म के मान्यता के अनुसार इन नौ रातों के दौरान, देवी दुर्गा की दिव्य ऊर्जा अपने चरम पर होती है, उनकी भक्ति करने सभी मनोकामना पूर्ण होती है | 

माँ दुर्गा के नौ रूपों का महत्त्व 

नवरात्रि के नौ दिनों की अनूठी विशेषता यह है कि  प्रत्येक दिन एक विशिष्ट रंग से जुड़ा होता है, जिसका अपना आध्यात्मिक महत्व है ये रंग देवी के साथ-साथ भक्तों की मनोदशा और विशेषताओं को दर्शाते हैं। भक्त माता के रूपों की पूजा करते इसके महत्त्व ये है |  

माँ दुर्गा के नौ रूपदिन का रंगमहत्व विशेषता
पहला दिन शैलपुत्रीनारंगी, ऊर्जा और उत्साह का प्रतीकपहाड़ों की बेटी, प्रकृति और पवित्रता का प्रतिनिधित्व
दूसरा दिन ब्रह्मचारिणीसफेद,तपस्या बुद्धि और ज्ञान का प्रतीकपश्चारिणी, अपर्णा और उमा, स्पष्टता, शांति आत्मज्ञान का प्रतिनिधित्व
तीसरा दिन चंद्रघंटालाल, सुंदरता और बहादुरी का प्रतीकचंडिका, रणचंडी और शक्ति के नाम से जानते है
चौथा दिन कुष्मांडारॉयल ब्लू , रचनात्मकता और आनंद का प्रतीकअष्टभुजा देवी, अन्नपूर्णा नाम से जानते है
पाँचवाँ दिन स्कंदमातापीला, मातृत्व और करुणा का प्रतीकपार्वती और महेश्वरी, नाम से जानते है
छठा दिन कात्यायनीहरा, विकास और सद्भाव का प्रतीककात्यायनी, स्वास्थ्यसाहस, सफलता का प्रतीक
सातवां दिन कालरात्रिग्रे , विनाश और मुक्ति का प्रतीकभैरवी और चामुंडा के नाम से जानते है
आठवां दिन महागौरीबैंगनी, ऐश्वर्य और समृद्धि का प्रतीकविलासिता, भव्यता का प्रतीक
नौवां दिन सिद्धिदात्रीमोर हरा, अलौकिक शक्तियां का प्रतीकसरस्वती , लक्ष्मी, और गायत्री  के नाम जानते है

माँ दुर्गा का पूजन विधि 

सुबह उठकर और अपने दिन की शुरुआत करे पूजा स्थान सफाई करे  अपने दिन को सकारात्मकता और भक्ति के साथ शुरू करने का एक सुंदर तरीका है।

जल्दी उठें, अपने दिन की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर करें, विशेषकर सूर्योदय से पहले।
स्नान करें, स्नान कर  अपने शरीर और दिमाग को शांत  करें। यह न केवल आपको शारीरिक रूप से तरोताजा करता है बल्कि शुद्धि और तैयारी का भी प्रतीक है।
मंदिर को साफ करें, यह सुनिश्चित करते हुए कि यह आपकी प्रार्थनाओं के लिए एक शांत और शुद्ध वातावरण है| 
देवता का अभिषेक करें, यह दिव्य उपस्थिति की शुद्धि और जागृति का प्रतीक है।
देवता को अक्षत (अखंडित चावल के दाने), लाल चंदन, एक चुनरी (कपड़े का एक पवित्र टुकड़ा), और लाल फूल चढ़ाएं।
मंदिर में अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं, 

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